अम्बर ! तुम कितने विशाल हो , जो सूर्य की तपिश को ऊष्ण भाप को अपने में समेट लेते हो, अम्बर ! तुम कितने विशाल हो , जो सूर्य की तपिश को ऊष्ण भाप को अपने मे...
आंगन आपके ही जन्मी, मैंने भी दादी संग तुलसी को सींचा था, जब जब बीमार पड़े थे बाबा आंगन आपके ही जन्मी, मैंने भी दादी संग तुलसी को सींचा था, जब जब बीमार...
बैठा हूँ फिर भी लिये फूल हाथों में बेवफ़ा फागुन में जो दग़ा दे गयी। बैठा हूँ फिर भी लिये फूल हाथों में बेवफ़ा फागुन में जो दग़ा दे गयी।
सारी रात गुजर गई पर बात बाकी रह गई तुम सामने ही थे पर यह आँखे प्यासी रह गईं सारी रात गुजर गई पर बात बाकी रह गई तुम सामने ही थे पर यह आँखे प्यासी रह गईं
पीले वसन पहन कर देखो , धरती जैसे संत हो गई । पीले वसन पहन कर देखो , धरती जैसे संत हो गई ।
"हो गई धरा बंजर,अब और क्या चाहिए हे मानव, तेरे लालच की कोई सीमा तो होनी चाहिए। "हो गई धरा बंजर,अब और क्या चाहिए हे मानव, तेरे लालच की कोई सीमा तो होनी चाहिए...